सब चिंता छोड़कर इस शे’र का आनंद लिजिए – *हम तन्हा ही चले थे…* *ज़िंदगी का दही जमाने* *रास्ते में बूंदियाँ मिलती गईं…* *और ज़िंदगी का रायता बन गया।* —– ———————————————– जीएसटी और जिन्न* जीएसटी पीड़ित व्यापारी निराश हाल में समंदर किनारे भटक रहा था। तभी उसे पानी में तैरती एक बोतल दिखी। उसने बोतल […]